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बच्चों में विज्ञान के प्रति रुचि जगाने के 3 आसान तरीक़े

हर बच्चा स्वाभाविक तौर पर एक वैज्ञानिक होता है। बच्चों में, अपनी आस पास की दुनिया को समझने का, काफ़ी कौतूहल होता है। छोटे बच्चे हर चीज़ को छूना चाहते हैं, पकड़ना चाहते हैं, फेंकना चाहते हैं और कभी कभी तो हर चीज़ खाना भी चाहते हैं। ऐसी ही चंचल और शरारती तरीक़ों से वो इस दुनिया को समझते हैं। अगर आप ध्यान से सोचें तो प्रकृति को समझने का वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी यही है।

बतौर अभिभावक, हम हमेशा यह चाहते हैं कि बच्चों का यह शरारती कौतुहल उन्हें कोई हानि ना पहुँचाये। इसके लिए हम अपने बच्चों को safe toys देते हैं। खिलौनो से बच्चों का मन लगा रहता है और उनसे वे कई चीजें सीखते भी हैं। लेकिन क्रमशः इन्हीं खिलौनो की वजह से बच्चों का स्वाभाविक कौतूहल धीरे धीरे कम होने लगता है। इसके अलावा भारी-भरकम पाठ्य पुस्तकों से भरी हमारी शिक्षा प्रणाली बच्चों को प्रकृति से और दूर ले जाती है। प्रकृति से जुड़ा न होना बच्चों में विज्ञान के प्रति भय होने का एक महत्वपूर्ण कारण है।

बच्चों में विज्ञान के प्रति रुचि किसी भी उम्र में जगायी जा सकती है। इस लेख में, हम आपको बच्चों में विज्ञान के प्रति रुचि जगाने के कुछ आसान तरीक़े बताएँगे।

  • “क्यूँ” और “कैसे” पूछने के लिए प्रोत्साहित करें:

(फ़ोटो: पेंट ब्रश के धागे पानी में आपस में चिपक जाते हैं)

बच्चों में हर चीज़ के प्रति एक स्वाभाविक जिज्ञासा होती है। वे अपने आस पास की चीजों को देखतें हैं, अपने तरीक़े से उनका अध्ययन करते हैं और उन्हें समझते भी हैं।उनके बड़े होने के क्रम में इस स्वाभाविक कौतूहल को दबाएँ ना। 

यह सम्भव है कि उनके कई प्रश्नों के उत्तर आपके पास नहीं होंगे। ऐसी परिस्थिति में उनके प्रश्नों को ख़ारिज ना करें, बल्कि उन प्रश्नों के उत्तर ढूँढने में उनकी मदद करें। आज के युग में इंटरनेट की वजह से यह काफ़ी आसान हो गया है। ध्यान रखें कि छोटे बच्चे वेब-ब्राउज़िंग आपकी निगरानी में ही करें। इससे वे सेफ़ वेबसाइटों की पहचान कर पाएँगे।

हमारे आस पास की चीजों के पीछे जो वैज्ञानिक सिद्धांत छिपे हैं, उनको सरल भाषा में समझाने वाले कई विडीओ इंटरनेट में उपलब्ध हैं। उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि हम विद्युत आवेश को समझना चाहते हैं। इसका एक सरल तरीक़ा यह है कि हम एक कंघी लें और उससे अपने बाल संवारें। अब इस कंघी को काग़ज़ के छोटे टुकड़ों के पास ले जाएँ। आप पायेंगे की काग़ज़ के टुकड़े कंघी से चिपक जाएँगे। इस सरल प्रयोग से आप अपने बच्चों को घर्षण और विद्युत आवेश की सृष्टि में सम्बंध समझा सकते हैं। 

अगर आप ऐसे छोटे-छोटे प्रयोग घर पर ना कर सकें तो कम से कम बच्चों को इंटरनेट पर मौजूद ऐसी विडीओ ज़रूर दिखायें। बिना किसी विज्ञान प्रतियोगिता या प्रदर्शनी का इंतज़ार किये आप अपने बच्चों को छोटे-छोटे साइंस प्रोजेक्ट्स बनाने के लिए प्रोत्साहित करें। कोशिश करें कि ये प्रोजेक्ट्स आम ज़िंदगी से जुड़े हों, जैसे कि “पानी में भीगने के बाद चित्रकारी वाली ब्रश के रेशे एक साथ चिपकते क्यूँ हैं?” इससे बच्चे ये समझ पाएँगे कि पृष्ठ तनाव (सरफ़ेस टेन्शन) हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा है।  

  • मॉर्निंग वॉक के वार्तालाप में विज्ञान को जोड़ें:

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कोविड-19 की वजह से हमारा घर से बाहर जाना काफ़ी कम हो गया है। लेकिन आप अपने मॉर्निंग वॉक को भी अपने बच्चों को विज्ञान से जोड़ने का एक ज़रिया बना सकते हैं। हमारे आस-पास, प्रकृति में, कई ऐसी चीजें हैं जिससे हम अपने बच्चों को विज्ञान के कुछ मूलभूत सिद्धांत सिखा सकते हैं। जैसे अगर सुबह आसमान बादलों से घिरा है, तो आप बच्चों को जल से भाप और भाप से बादल बनने की प्रक्रिया समझा सकते हैं। ऐसी छोटी-छोटी वार्तालापों से बच्चों में विज्ञान के प्रति रुचि बढ़ेगी और वे स्कूली किताबों में पढ़ी हुई चीजों को प्रकृति से जोड़ भी पाएँगे। 

  • विज्ञान के बारे में सकारात्मक दृष्टिकोण रखें: 

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ज़्यादातर मामलों में बच्चों की सोच पर माता-पिता के दृष्टिकोण का काफ़ी गहरा प्रभाव पड़ता है। अगर बच्चे आप से या परिवार के बाक़ी सदस्यों से यह सुनते रहेंगे कि विज्ञान बहुत कठिन है, तो वो भी ऐसा भी मानने लगेंगे। इस लिए आप हमेशा सचेत रहें और बच्चों के सामने विज्ञान के बारे में सकारात्मक ही बोलें। 

आपका पेशा विज्ञान से सम्बंधित हो या ना हो, कोशिश करें कि आप स्वयं विज्ञान के प्रति किसी दुराग्रह से ग्रसित ना हों। ‘विज्ञान में केवल तेज़ बच्चे अच्छा करते हैं’, ऐसी बातें अपने बच्चों के सामने ना बोलें। बच्चों में यह समझ पैदा करें कि विज्ञान पढ़ने से हमारी तार्किक क्षमताएँ बढ़ती हैं। जो कोई भी थोड़ी मेहनत करने को राज़ी है, वो विज्ञान को अच्छी तरह समझ सकता है।  

विज्ञान में रुचि पैदा करना और उसे बनाए रखना, अभिभावकों एवं शिक्षकों, दोनों के लिए एक चुनौती है। यदि बच्चों के मन को विज्ञान के प्रति किसी दुराग्रह से बचाया जाये, तो ना सिर्फ़ वो स्कूल में अच्छे नम्बर लाएँगे, बल्कि आगे जीवन में विज्ञान से सम्बंधित किसी करियर का चयन भी कर सकते हैं। विज्ञान पढ़ने से जिस तार्किक क्षमता का विकास होता है, वो जीवन के कई पहलुओं में काम आता है।  

याद रखें कि विज्ञान के प्रति रुचि किसी भी उम्र में जगायी जा सकती है। हाँ, यह ज़रूर है कि अगर ये रुचि बचपन में जगायी जाये तो कम से कम पूरे समाज में विज्ञान के प्रति एक सकारात्मक सोच आ सकती है। 

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Manjiri Shete

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